Home Haryana News आदमपुर में 56 साल से बज रही है ‘भजन धुन’, अभी तक कोई नहीं भेद पाया ये किला

आदमपुर में 56 साल से बज रही है ‘भजन धुन’, अभी तक कोई नहीं भेद पाया ये किला

आदमपुर में 56 साल से बज रही है ‘भजन धुन’, अभी तक कोई नहीं भेद पाया ये किला
हाइलाइट्स

पिछले 56 वर्षों से इस सीट पर भजन परिवार का दबदबा है.भजनलाल आदमपुर से नौ विधानसभा चुनाव जीते. आदमपुर से वे1968 में पहली बार विधायक बने थे.

नई दिल्‍ली. हरियाणा में चुनाव हो और आदमपुर विधानसभा सीट का जिक्र ना हो, ये हो ही नहीं सकता. यह सीट हरियाणा के तीन बार मुख्‍यमंत्री रहे भजनलाल के परिवार का विधानसभा क्षेत्र है. पिछले 56 वर्षों से इस सीट पर भजन परिवार का दबदबा है. आदमपुर सीट पर सिर्फ पूर्व मुख्‍यमंत्री भजनलाल ही नहीं बल्कि, उनकी पत्नी, बेटे, बहू और पोता भी जीतकर विधायक बनें हैं. इस बार भजनलाल के पोते और कुलदीप बिश्‍नोई के बेटे भव्‍य बिश्‍नोई भाजपा की टिकट पर यहां से ताल ठोक रहे हैं. पिछला चुनाव जीतकर भव्‍य ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी. आदमपुर में भजन परिवार के सामने कईं पार्टियां आईं, दिग्‍गज नेता आए, लेकिन कोई भी इस किले को उनसे छीन नहीं पाया. भजनलाल परिवार के आदमपुर पर इस मजबूत पकड़ के पीछे कुछ सॉलिड कारण हैं. सबसे बड़ा कारण है, भजनलाल की छवि और इलाके में उनके द्वारा किए गए काम.

1968 से शुरू हुआ भजनलाल परिवार की जीत का ये सिलसिला अब तक जारी है. भले ही परिवार ने पार्टियां बदली हों, चुनाव निशान बदले हों, आम चुनाव हो या फिर उपचुनाव, नतीजा हर बार भजनलाल परिवार के पक्ष में ही रहा है. आदमपुर में भजनलाल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ग्राम पंचायत का पंच बनकर की. फिर पंचायत समिति के चेयरमैन बने. इसके बाद आदमपुर से 1968 में पहली बार विधायक बने.

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नौ बार आदमपुर से विधायक बने भजनलाल
भजनलाल आदमपुर से नौ विधानसभा चुनाव जीते. 1968 कांग्रेस के टिकट पर उतरे भजनलाल ने निर्दलीय बलराज सिंह को हराया. 1972 के विधासभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय देवीलाल को हराया. इसी तरह भजनलाल आदमपुर से 1977 और 1982 का विधानसभा चुनाव जीते. 1987 में आदमपुर से भजनलाल की पत्नी जसमा देवी कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरीं और जीत दर्ज की. 1991 और 1996 का विधानसभा चुनाव भजनलाल आदमपुर से जीते.

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बेटे कुलदीप बिश्‍नोई और पोते भव्‍य के साथ पूर्व मुख्‍यमंत्री भजनलाल. (फाइल फोटो)

1998 में कुलदीप बिश्‍नोई ने लड़ा चुनाव
1998 में भजनलाल करनाल से सांसद बने तो उन्‍होंने विधानसभा से इस्‍तीफा दे दिया. आदमपुर में उपचुनाव हुआ. भजनलाल के छोटे बेटे कुलदीप बिश्नोई ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की और राजनीति में कदम रखा. साल 2000 हरियाणा के विधानसभा चुनाव में भजन लाल कांग्रेस के उम्मीदवार बनते हैं और जीतते भी हैं. 2005 के विधासनसभा चुनाव में भी आदमपुर में भजनलाल की जीत का सिलसिला जारी रहता है.

अपनी पार्टी बना कर जीता चुनाव
2005 के चुनाव के कुछ समय बाद भजनलाल कांग्रेस से बगावत कर नई पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस बना लेते हैं. भजनलाल को दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहरा दिया जाता है. आदमपुर सीट खाली हो जाती है. आदमपुर विधानसभा सीट पर नए सिरे से उप-चुनाव होते हैं. भजनलाल हजकां की टिकट पर कांग्रेस उम्‍मीदवार और पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला को 26 हजार से ज्यादा वोट से हरा देते हैं. ये भजनलाल की आदमपुर में नौवीं जीत थी. 2009 के राज्य में विधानसभा चुनाव में आदमपुर से भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई जीतते हैं.

पुत्रवधु ने बरकरार रखा जीत का सिलसिला
3 जून 2011 भजनलाल का निधन हो जाता है. उस समय भजनलाल हिसार से सांसद थे. उनकी मौत के बाद हिसार लोकसभा सीट पर नए सिरे से उप-चुनाव होते हैं. इस उप-चुनाव में कुलदीप बिश्नोई जीत दर्ज करते हैं. हिसार से सांसद बनने के बाद कुलदीप विधायकी से इस्तीफा दे देते हैं. इसके चलते आदमपुर विधानसभा सीट पर उप-चुनाव होता है. इस उप-चुनाव में हरियाणा जनहित कांग्रेस के टिकट पर कुलदीप बिश्नोई की पत्नी और भजनलाल की बहू रेणुका बिश्नोई चुनाव लड़ती हैं और जीतती भी हैं. 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले कुलदीप बिश्नोई फिर से यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचते हैं. दोनों बार कुलदीप कांग्रेस के टिकट पर जीतते हैं. क्योंकि 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया था.

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कुलदीप बिश्नोई की पत्नी रेणुका बिश्नोई भी आदमपुर से चुनाव जीत चुकी हैं.

पोते ने बरकरार रखा दादा का दुर्ग
2022 में कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस और विधायकी दोनों छोड़ देते हैं. आदमपुर में एक और उप-चुनाव की नौबत आती है, और भजनलाल परिवार के एक और सदस्य का चुनावी राजनीति में प्रवेश होता है. कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई इस उप-चुनाव में आदमपुर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं और अपने दादा, दादी, पिता और मां की तरह यहां से चुनाव जीतते हैं.

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आदमपुर विधानसभा से इस बार भजनलाल परिवार की ओर से भव्‍य बिश्‍नोई भाजपा की टिकट पर चुनाव मैदान में है.

क्‍यों विपक्षी फतेह नहीं कर पाए भजनलाल का दुर्ग?
भजनलाल परिवार को आदमपुर से हराने के लिए देवीलाल, बंशीलाल से लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा तक जोर लगा चुके हैं. लेकिन, अभी तक किसी को यहां सफलता नहीं मिली है. हर किसी के मन में एक सवाल उठता है कि आखिर भजन परिवार ने ऐसा क्‍या जादू आदमपुर के वोटरों पर कर रखा है कि वे उन्‍हें हारने देते ही नहीं. भजनलाल हरियाणा के तीन बार मुख्‍यमंत्री बने. मुख्‍यमंत्री रहते उन्‍होंने इस इलाके में जबरदस्‍त विकास कार्य किए. नौकरियां दीं. उनका स्‍वभाव बहुत नरम था. वो विरोधी का भी काम कर देते थे. उन्‍होंने विधानसभा में हजारों परिवारों के साथ पारिवारिक संबंध बना लिए, जो आज तक जारी है.

आदमपुर में भजनलाल की अपनी जाति, बिश्‍नोईयों के करीब 30 हजार वोट हैं. अभी तक कोई भी उनके इस मजबूत वोट बैंक में सेंध नहीं लगा पाया है. ये वोट भजनलाल परिवार को एकतरफा ही मिलते रहे हैं. इसके अलावा भजनलाल हरियाणा में सबसे बड़े नॉन-जाट नेता रहे. इसी वजह से आदमपुर में भी उन्‍हें अन्‍य जातियों का भरपूर समर्थन मिलता रहा और अब उनके परिवार को मिल रहा है. पिछले ज्‍यादातर चुनावों में आदमुपर में भजन परिवार का सामना जाट उम्‍मीदवारों से ही हुआ है. भजनलाल के इस गढ में सेंध लगाने के लिए अभी तक कोई दूसरा नेता लगातार सक्रिय नहीं रहा है. भजन परिवार के सामने बदल-बदल कर विपक्षी उम्‍मीदवार मैदान में उतरते रहे. नए चेहरों ने उन्‍हें कई बार थोड़ी टक्‍कर तो दी, पर हरा नहीं पाए.

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