Home Entertainment Berlin Movie Review: तारीफ बटोरने वाला काम किया है अपारशक्ति खुराना ने

Berlin Movie Review: तारीफ बटोरने वाला काम किया है अपारशक्ति खुराना ने

ओटीटी पर लगातार नई फिल्में रिलीज हो रही हैं. इसी क्रम में 13 सितंबर को जी5 पर एक ऐसी फिल्म रिलीज हुई है, जिसे आप मिस नहीं करना चाहेंगे. उस फिल्म का नाम है ‘बर्लिन’, जो एक सस्पेंस फिल्म है और इस फिल्म में अपारशक्ति खुराना अपने किरदार से आपका दिल जीतने वाले हैं. इस फिल्म में उन्होंने क्या कमाल किया है. ‘स्त्री 2’ के बाद आप ‘बर्लिन’ में उनके किरदार की तुलना नहीं कर पाएंगे. दोनों ही फिल्मों में उनके किरदार विपरीत हैं.

चलिए, आपको फिल्म की कहानी के बारे में बताते हैं. फिल्म की कहानी साल 1993 में नई दिल्ली में सेट की गई है. पूरी कहानी एक ऐसे शख्स पर बेस्ड है जो न बोल सकता है और न ही सुन सकता है और उसका नाम है अशोक, जिसके किरदार में आपको इश्वाक सिंह नजर आएंगे. अशोक पर विदेशी जासूस होने का आरोप है. इंटेलिजेंस ऑफिसर सोंधी (राहुल बॉस) उससे बातचीत करने के लिए एक स्कूल टीजर पुश्किन को बुलाते हैं, जिसके किरदार में अपारशक्ति खुराना नजर आ रहे हैं. जो साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट हैं.

पुश्किन को खुफिया विभाग लाया जाता है, जहां वह अशोक ने साइन लैंग्वेज में बातचीत शुरू करता है. शुरुआती बातचीत में में पुश्किन को ऐसा बिलकुल भी नहीं लगता कि अशोक कोई एजेंट है, लेकिन सोंधी उनसे विश्वास दिलाता है कि वह कई एजेंसियों के लिए काम करता है. इसी बीच एक रात पुश्किन को ब्यूरो वाले उठाकर ले जाते हैं. वह अपनी अलग कहानी उसे सुनाते हैं. उनका कहना है कि खुफिया विभाग वाले उनके दो लोगों को डिटेन कर रहे हैं.

ब्यूरो वाले पुश्किन को कुछ सवाल देते हैं और कहते कि वह अशोक से इन सवालों के जवाब निकाले. वो भी बिना खुफिया विभाग को पता लगे बगैर. पुश्किन काफी परेशान हो जाता है, अपने ही देश के दो विभागों के बीच फंसे अपारशक्ति को इस सस्पेंस से भरपूर फिल्म में देखने के बाद तारीफ करना तो बनेगा. अभिनय की बात करें तो अपारशक्ति के अलावा फिल्म में राहुल बोस, इश्वाक सिंह, अनुप्रिया गोयनका और कबीर बेदी ने भी अपने-अपने किरदार के साथ इंसाफ किया है.

साथ ही, फिल्म में अतुल सभरवाल का भी कमाल का निर्देशन देखने को मिल रहा है. उन्होंने हर एक चीज को काफी शानदार तरीके से पेश किया है. फिल्म देखते वक्त आप 1993 में चले जाएंगे और इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ सिनेमाटोग्राफी का है. वैसे, यह फिल्म ओटीटी की जगह सिनेमाघरों में भी रिलीज होती तो शायद यह वहां भी अच्छा काम करती.

हालांकि ऐसा नहीं कि फिल्म में सब कुछ अच्छा ही अच्छा है, कुछ कमियां भी हैं. 2 घंटे की इस फिल्म में कई बार आपको कुछ जबरन के सीन नजर आएंगे. कई जगह फिल्म की स्पीड इतनी धीमी हो जाती है कि आप थोड़ा बोरियत भी महसूस करते हैं. हालांकि, फिल्म के क्लाइमैक्स को इतने शानदार तरीके से गढ़ा गया है कि वो इन सब कमियों को दूर कर देता है. कुला मिलाकर देखा जाए तो आप अपने पूरे परिवार के साथ घर बैठे इस फिल्म का आनंद उठा सकते हैं. मेरी ओर से फिल्म को 3.5 स्टार.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

Tags: Aparshakti Khurana, Bollywood movies

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