Home Business दिल्ली हाईकोर्ट बोला- रामदेव कोरोनिल का दावा वापस लें:योग गुरु ने इसे कोविड की दवा बताया था; डॉक्टर्स एसोसिएशन की याचिका पर फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट बोला- रामदेव कोरोनिल का दावा वापस लें:योग गुरु ने इसे कोविड की दवा बताया था; डॉक्टर्स एसोसिएशन की याचिका पर फैसला

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नई दिल्ली2 दिन पहले

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डॉक्टरों की एसोसिएशन ने 2021 में बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ यह याचिका दाखिल की थी। - Dainik Bhaskar

डॉक्टरों की एसोसिएशन ने 2021 में बाबा रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ यह याचिका दाखिल की थी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव को आदेश दिया है कि वे पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल टैबलेट को कोविड की दवा बताने का दावा 3 दिन के अंदर वापस लें। हाईकोर्ट ने सोमवार (29 जुलाई) को पतंजलि और बाबा रामदेव के खिलाफ डॉक्टरों की कई एसोसिएशन की तरफ से दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया।

जस्टिस अनूप भंभानी की बेंच ने कहा कि रामदेव वह टिप्पणी वापस लें, जिसमें उन्होंने कहा है कि कोरोनिल सिर्फ इम्यूनिटी बूस्टर नहीं, बल्कि कोविड-19 ठीक करने की दवा है। बाबा रामदेव और उनके प्रमोटरों को 3 दिनों में इससे जुड़े ट्वीट हटाने होंगे। अगर वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो सोशल मीडिया मीडिएटर इन ट्वीट्स को हटा देंगे।

कोरोनिल वैक्सीन 2020 में लॉन्च की गई थी। इस मौके पर तत्कालीन हेल्थ मिनिस्टर हर्षवर्धन सिंह और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी मौजूद थे।

कोरोनिल वैक्सीन 2020 में लॉन्च की गई थी। इस मौके पर तत्कालीन हेल्थ मिनिस्टर हर्षवर्धन सिंह और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी मौजूद थे।

कोरोनिल के खिलाफ 2021 में याचिका दाखिल हुई थी, दावे को हटाने की मांग की थी
कोरोना महामारी के दौरान बाबा रामदेव ने कहा था, ‘पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल सिर्फ इम्यूनिटी बूस्टर नहीं, बल्कि कोविड-19 ठीक करने की दवा है।’ इसके खिलाफ डॉक्टरों की एसोसिएशन ने 2021 में रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ याचिका दाखिल की थी।’

  • याचिका में डॉक्टरों ने पतंजलि के दावे के संबंध में अलग-अलग मीडिया प्लेटफॉर्म्स से कोरोनिल से जुड़े बयानों को हटाने की मांग की थी। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 21 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
  • डॉक्टरों ने अपनी याचिका में कहा था कि रामदेव ने कोरोनिल को कोविड की दवा बताकर कई भ्रामक दावे किए थे, जबकि उन्हें कोरोनिल के लिए सिर्फ इम्यूनो-बूस्टर होने का लाइसेंस मिला था। डॉक्टरों के वकील ने यह मांग भी की थी कि पतंजलि आयुर्वेद और बाबा रामदेव को भविष्य में ऐसे बयान देने से रोकने के लिए निर्देश दिए जाएं।
  • रामदेव के वकील ने कहा था कि भ्रामक विज्ञापनों को लेकर पंतजलि ने सुप्रीम कोर्ट में जो बयान दर्ज कराए हैं, वे उन पर कायम हैं और हाईकोर्ट में उन बयानों को दोहरा सकते हैं।
  • इस पर डॉक्टरों के वकील ने कहा था कि पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में यह वादा किया था कि वे बिना सोचे समझे ऐसे बयान नहीं देगा, जो कानून के मुताबिक न हों। कोरोनिल का मामला उस मामले से अलग है, लिहाजा इस मामले में हाईकोर्ट को फैसला सुनाना चाहिए।
रामदेव ने दावा किया था कि पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल से कोविड ठीक हो सकता है।

रामदेव ने दावा किया था कि पतंजलि आयुर्वेद की कोरोनिल से कोविड ठीक हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट: पतंजलि केस के बारे में 6 पॉइंट में समझिए…

  • सुप्रीम कोर्ट में IMA ने 17 अगस्त 2022 को याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ नेगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।
  • IMA का तर्क था कि हर कंपनी को अपने प्रोडक्ट्स का प्रचार करने का हक है, लेकिन पतंजलि के दावे ‘ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेमेडीज एक्ट 1954’ और ‘कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019’ का सीधा उल्लंघन करते हैं।
  • IMA ने एलोपैथी और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली (मॉडर्न सिस्टम ऑफ मेडिसिन) के बारे में फैलाई जा रहीं गलत सूचनाओं पर चिंता जताई। याचिका में कहा गया कि पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन एलोपैथी की निंदा करते हैं और कई बीमारियों के इलाज के बारे में झूठे दावे करते हैं।
  • IMA ने केंद्र सरकार, एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) और सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (CCPA) से मांग की थी कि आयुष चिकित्सा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए एलोपैथी को अपमानित करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
  • याचिका में बाबा रामदेव के दिए कुछ विवादास्पद बयानों का भी जिक्र किया गया। मसलन, एलोपैथी को ‘बेवकूफ और दिवालिया बनाने वाला विज्ञान’ बताना, कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल से लोगों की मौत का दावा करना वगैरह।
  • IMA ने यह भी आरोप लगाए कि पतंजलि ने कोविड की वैक्सीन के बारे में अफवाह फैलाई, जिससे लोगों में वैक्सीन लगवाने को लेकर डर पैदा हो गया। याचिका में ये भी कहा गया कि पतंजलि ने कोरोना के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर की तलाश कर रहे युवाओं का उपहास उड़ाया। आयुष मंत्रालय ने ASCI के साथ एक समझौता किया है, इसके बावजूद पतंजलि ने निर्देशों का उल्लंघन किया।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद पर​​​​​​​ 4.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 29 जुलाई को पतंजलि आयुर्वेद पर कपूर उत्पाद बेचने पर रोक लगाने वाले अंतरिम आदेश का उल्लंघन करने पर 4.5 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। 30 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने पतंजलि को कपूर उत्पाद बेचने से रोका था। एक हलफनामे में पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगी और अदालत के आदेशों का पालन करने की बात कही थी।

अंतरिम आवेदन के जरिए कोर्ट को बताया गया था कि पतंजलि कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहा है। जस्टिस आरआई चागला ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ उसके कपूर प्रोडक्ट के संबंध में ट्रेडमार्क उल्लंघन के मुकदमे में मंगलम ऑर्गेनिक्स के दायर अंतरिम आवेदन पर यह आदेश पारित किया है।

मंगलम ऑर्गेनिक्स ने दावा किया था कि पतंजलि ने 24 जून के बाद भी कपूर प्रोडक्ट बेचे। इसने आगे बताया कि 8 जुलाई को पतंजलि की वेबसाइट पर कपूर उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध थे। मंगलम ऑर्गेनिक्स ने कहा कि पतंजलि के पेश हलफनामे में इसकी जानकारी नहीं दी गई थी।

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