शादाब चौधरी/मंदसौर: गांधी सागर क्षेत्र के जिला मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर दूरी पर चीते लाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. लेकिन इससे पहले कई प्रकार के जानवर गांधी सागर क्षेत्र में आसन्न हो रहे हैं, जिससे यह स्थान स्वर्ग साबित हो रहा है. प्राकृतिक संरक्षण अथॉरिटीज की ओर से संबंधित समस्या को नियंत्रित करने और संरक्षित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. स्थानीय प्राकृतिक जीवन की संरक्षण और सुरक्षा के लिए यातायात और नियंत्रण उपायों पर भी विचार किया जा रहा है.
गांधी सागर क्षेत्र में वातावरण के कारण विभिन्न प्रकार के जानवर आराम से निवास कर रहे हैं. सर्वे और आंकड़े इसे पुष्टि कर रहे हैं. यहां की प्राकृतिक संरचना, जलवायु, और वन्यजीवन जीवन के लिए उपयुक्तता के कारण इसका विशेष महत्व है. जैसे तितलियां, मगरमच्छ, और गिद्द जैसी प्रजातियां यहां निवास कर रही हैं जो वातावरण के अनुकूल हैं. यहां के नैसर्गिक संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि इन प्राकृतिक जीवन की प्रजातियों को संरक्षित रखा जा सके.
वन्य जीवों को मिल रहा है सुरक्षित घर
गांधी सागर बांध के निर्माण के बाद मध्य प्रदेश शासन ने इस क्षेत्र को 28 फरवरी 1984 में 368 वर्ग किलोमीटर के वन्य अभ्यारण्य के रूप में घोषित किया था. यह अभ्यारण्य वन्य जीवों के लिए सुरक्षित स्थान बनाने का काम कर रहा है. गांधी सागर अभ्यारण्य में गिद्ध की चार प्रजातियां पाई जाती हैं और इसके साथ ही तीन प्रजातियां शीत ऋतु में इस अभ्यारण्य का उपयोग करने के लिए प्रवास करती हैं. मध्य प्रदेश के पन्ना के बाद, यहां की गिद्ध गणना में लगभग 700 गिद्ध होने के कारण, दूसरे स्थान पर था.
कॉलर आईडी से करते है ट्रैक
गुजराती गिद्दों को गांधी सागर की आबोहवा खासी रास आई थी और कुछ समय पहले गुजरात से अधिकारियों के अनुसार ये गिद्द करीब 800 किलोमीटर की दूरी तय करके गिर के जंगलों से गांधी सागर पहुंच गए थे. गिर के जंगलों में गिद्दों के पट्टे पर कॉलर आईडी लगाई गई थी जिससे वन विभाग उन्हें ट्रैक कर सके. गिद्दों की ब्रीडिंग दिखने पर वन विभाग को जानकारी मिली और इसके बाद उन गिद्दों को खोजने का काम शुरू किया गया जिससे पता चला कि ये गिद्द गांधी सागर में ही बस गए हैं.
246 प्रजाति के पक्षियों का भी है आशियाना
वन विभाग के मुताबिक, गांधी सागर में सर्वे के दौरान अब तक 246 प्रजाति के पक्षियों का पता चला है. सर्वेक्षण में लगभग 80 प्रतिभागी और पक्षी विशेषज्ञों ने 3 दिन तक 23 रास्तों पर निकलकर इस डाटा को जुटाया था. प्राप्त डाटा का विश्लेषण वन्यजीव एवं प्रकृति संरक्षण संगठन “डब्ल्यू एन सी वाइल्ड लाइफ एंड नेचर कंजर्वेशन” इंदौर ने किया है. विशेषज्ञों का मानना है कि अभ्यारण्य क्षेत्र पक्षियों के आवास और रेवास के लिए उचित है, और प्रजातियों के मिलने से यह संकेत देता है कि उनके जीवन के लक्षण वहां मौजूद हैं.
बढ़ रही है जानवरों की संख्या
कुछ समय पहले, तितली संरक्षण के लिए देश भर के तितली विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय तितली घोषित करने के लिए अभियान चलाया. इस अभियान में ऑनलाइन सर्वे के आधार पर देश में मिलने वाली प्रजातियों में से 7 तितलियों का चयन किया गया. तीन तितलियों को सबसे अधिक पसंद किया गया, जिनमें गांधी सागर में पाई जाने वाली कॉमन जेझेबल प्रजाति की तितली भी शामिल थी. इसके साथ ही, ऑरेंज ऑक्लीफ और कृष्ण पीकॉक टॉप तीन में शामिल थी.
गांधी सागर डैम जलीय प्रजाति के लिए भी अनुकूल है पिछले कुछ सालों में यहां मगरमच्छ की संख्या में भी इजाफा देखने को मिला है. फिलहाल जलाशय में 5 हज़ार से भी ज्यादा मगरमच्छ मौजूद हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 1, 2023, 17:31 IST
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