Home Technology कोरोना में पॉकेट मनी कैश की बजाए ऑनलाइन देने का अनूठा आइडिया, जानें सबकुछ

कोरोना में पॉकेट मनी कैश की बजाए ऑनलाइन देने का अनूठा आइडिया, जानें सबकुछ

नई दिल्ली. पेटीएम, गूगल पे, अमेजन पे से लेकर तमाम यूपीआई का हम इस्तेमाल कर रहे हैं. कोरोना के दौर में इनकी लोकप्रियता और बढ़ी है. लेकिन जब सवाल बच्चों के जब खर्च देने का हो तो वो कैश दिया जाता है. इसी दिक्कत को समझा अंकित गैरा (Ankit Gera) ने.
कोरोना महामारी में लगे लॉकडाउन के बीच अंकित ने जूनियो एप (Junio) के जरिए बच्चों में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन शुरू करने की आदत डलवाई. यह ऐसा एप थे जिसमें बच्चे ऑनलाइन खर्च कर सकते है, लेकिन भुगतान की ताकत माता-पिता के पास होती थी. हर लेनदेन के लिए, ओटीपी माता-पिता को ही डालना होता था. न्यूज18 ने जूनियो एप के को-फाउंडर अंकित गैरा से बात की. पेश है उनसे बातचीत के चुनिंदा अंश.
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सवाल : बच्चों की पॉकेट मनी के लिए स्मार्ट कार्ड जैसा अनूठे कॉन्सेप्ट संस्थापकों के मन में कैसे आया?
जवाब : बच्चों द्वारा बहुत सारे ऑनलाइन ट्रांजेक्शन शुरू किए जा रहे थे, लेकिन भुगतान करने की ताकत माता-पिता के पास ही थी. बच्चों के पास भुगतान करने का समर्पित साधन नहीं था और माता-पिता के पास अपने बच्चों को डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए निगरानी रखते हुए टेंशन फ्री होकर पैसे देने का आवश्यक उपकरण नहीं था. इन सब बातों ने हमें इस तरह का कॉन्सेप्ट लाने में मदद की.
सवाल : यह कैसे काम करता है?
जवाब : सरल शब्दों में, जूनियो माता-पिता के लिए अपने बच्चों को डिजिटल रूप से पॉकेट मनी देने का एक तरीका है. बच्चों के लिए, कार्ड, यूपीआई, क्यूआर कोड स्कैनर, आदि जैसे कई पेमेंट उपकरण हैं, जिनका उपयोग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीकों से किया जा सकता है. माता-पिता 99 रुपए की सब्सक्रिप्शन फी देकर जूनियो ऐप पर कार्ड ऑर्डर कर सकते हैं. जूनियो कार्ड, डेबिट कार्ड से मिलता जुलता है और उसी की तरह काम भी करता है, लेकिन बैंक खाता खोलने के झंझट के बिना. इसे माता-पिता द्वारा रिचार्ज किया जा सकता है.
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सवाल : इस विचार को गढ़ने से लेकर अब इसे लॉन्च करने तक की यात्रा कैसी रही है?
जवाब : एक विचार के रूप में जूनियो की कल्पना अक्टूबर 2020 में की गई थी. इसके कुछ महीनों बाद मार्च (2021) में हमने इसे लॉन्च किया. हमें समझ में आया कि जूनियो के रूप में इस तरह के कॉन्सेप्ट की जरूरत हमेशा से ही थी. वहीं इस बीच कोविड के व्यवहार में आए बदलाव ने इस मांग को और बढ़ा दिया. हमारा मानना है कि ई-लर्निंग और गेमिंग के अलावा, भविष्य में बच्चे के मन में अपने स्वयं के पेमेंट और ट्रांजेक्शन के मालिक बनने का विचार आएगा.
सवाल : जूनियो जैसे फिनटेक के माध्यम से बच्चों में वित्तीय साक्षरता (फाइनेंशियल लिटरेसी) कैसे लाई जा सकती है?
जवाब : हमारा मंच वित्तीय साक्षरता, पैसा कमाने और उसे मैनेज करने के बेसिक कॉन्सेप्ट पर केंद्रित है. माता-पिता ऐप पर बच्चों को घरेलू काम दे सकते हैं और उसे पूरा करने पर बच्चों को कुछ पैसे दे सकते हैं. जूनियो ऐप इंटर एक्टिविटी को बढ़ावा देते हुए बच्चों को पैसे के मूल भी सिखाता है ताकि उन्हें समझ आए कि कमाई करना कितना मुश्किल है. यह महत्वपूर्ण है कि बच्चों को अच्छा वित्तीय व्यवहार थोड़ा जल्दी सिखाया जाए.
सवाल : बीते एक साल में क्या चुनौतियां और अवसर आए हैं?
जवाब : महामारी के दौरान डिजिटल में काफी विस्तार हुआ है और ट्रांजेक्शन के लिए यह सबसे कॉमन तरीका बन गया है. जैसे डिमोनेटाइजेशन ने लोगों को बड़े पैमाने पर डिजिटल भुगतान करने के लिए जोर दिया, वैसे ही महामारी ने एडटेक, ऑनलाइन शॉपिंग और यहां तक कि बड़े पैमाने पर ट्रांजेक्शन को भी बढ़ावा दिया है. जेनरेशन जेड, जो हमेशा ही अधिक रूप से डिजिटल की तरफ झुका हुआ था पिछले 12 महीनों के दौरान वह अधिक डिजिटल बन गया है.
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सवाल : बच्चों के लिए फिनटेक का भविष्य क्या हो सकता है?
जवाब : बच्चों के लिए फिनटेक का भविष्य आशाजनक है. प्रारंभिक स्तर पर जब बच्चे अपने फाइनेंस की योजना बनाने के साथ-साथ अन्य सरल और आवश्यक बैंकिंग कार्यों को सीखते हैं तो यह उन्हें एक अच्छी शुरुआत देता है और उन्हें भविष्य के लिए तैयार भी करता है. व्यावसायिक पक्ष में, अधिक से अधिक डिजिटल रूप से जागरूक बच्चे लाकर फिनटेक बच्चों को एक महत्वपूर्ण वादा करता है. यह फिलहाल ग्रीनफील्ड की तरह है. इसके अलावा इसमें निवेशक की अधिक रुचि है और अतिरिक्त फंडिंग प्रोडक्ट के विकास, वितरण और मार्केटिंग आदि के लिए अधिक मदद प्रदान करता है.
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सवाल : पेटीएम से आप लोगों को क्या सीख मिली?
जवाब : पेटीएम में हमें पता चला कि सहयोग में बड़ी शक्ति है. हमने पेटीएम कैश रिडम्पशन के रूप में 100 से अधिक ब्रांडों के साथ मिलकर उपभोक्ता प्रचार पर काम किया. यह सभी के लिए एक जीत है, न कि शून्य राशि का खेल. पेटीएम की जर्नी का हिस्सा होने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि हमने किसी ने नजदीकी तिमाहियों में बड़े पैमाने पर देखा है. जब तक कोई इस यात्रा का हिस्सा न हो, वह उस पैमाने की कल्पना भी नहीं कर सकता. हमने विकास देखा है और देखा है कि कैसे एक ब्रांड का नाम उदाहरण के तौर पर लिया जा सकता है, जैसे कि पेटीएम या गूगल. इसके लिए, कई तत्वों को एक साथ आने की आवश्यकता है जैसे की ब्रांडिंग, विकास, तकनीक और रिश्ते. लेकिन वह अभी भी सफलता की गारंटी नहीं देते. एक ही इनपुट के लिए, कभी-कभी आउटपुट बेहद अलग हो सकते हैं. लेकिन यह क्या करता है बाधाओं को हमारे लिए बेहतर बनने के लिए. एक पिछला अनुभव हमें उन अवसरों को देखने में मदद करता है जो भविष्य में संभवत: बड़े बन सकते है. पेटीएम से एक और महत्वपूर्ण सीख यह है कि मजबूत तकनीक और उत्पाद का कोई विकल्प नहीं है. अपटाइम एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और लेनदेन की सफलता दर 100 प्रतिशत के करीब होनी चाहिए. वर्ना, उपयोगकर्ताओं इसे छोड़ देंगे.

Tags: Mobile apps, Startup Idea, Success Story, Success tips and tricks

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